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1. इस कविता में किसका वर्णन है?
उ०: इस कविता में एक बूंद का वर्णन है।
2. हवा के वेग में बहती बूंद के मन की दशा कैसी थी?
उ०: हवा के वेग में बहती पानी की बूंद अपने भाग्य के बारे में सोच रही थी कि वह बचेगी या धूल में मिलेगी, अंगारे पर जलेगी या किसी कमल पर गिर पड़ेगी।
3. हवा के वेग से बूँद कहाँ जाकर गिरी?
उ०: हवा के वेग से बूंद समंदर में पड़े एक सुंदर सीप में गिर पड़ी।
4. घर छोड़ते समय लोग क्यों झिझकते और सोचते हैं?
उ०: घर छोड़ते समय लोग सोचते और झिझक थे इसलिए है क्योंकि उन्हें अपने भाग्य को लेकर भय होता है।
1. बादलों की गोद से निकलकर बूंद क्या सोचने लगी?
उ०: बादलों की गोद से निकलकर बूंद सोचने लगी कि वह घर छोड़कर क्यों निकल आई है।
2. बूंद सीप के मुंह में कैसे जा पड़ी?
उ०: समंदर में पड़े सुंदर सीप का मुंह खुला था और हवा के वेग के कारण पानी की बूंद उस सीप में जाकर गिर पड़ी।
3. सीप में गिरने पर बूंद का क्या हुआ?
उ०: सीप में गिरने के बाद पानी की बूंद एक सुंदर मोती में बदल गई।
4. किंतु घर को छोड़ना अक्सर उन्हें बूंद लो कुछ और ही देता है कर। उपरोक्त पंक्तियों का भावार्थ लिखो।
उ०: उपरोक्त पंक्ति का अर्थ यह है कि मनुष्य घर छोड़ने में डरता है। परंतु एक बार जब वह अपने घर से निकलता है तो जीवन में अनेकों उपलब्धियां हासिल कर पाता है और उसका भय पूरी तरह समाप्त हो जाता है।
5. नीचे दी गई पंक्तियाँ पूरी करो
ज्यों निकलकर बादलों की गोद से
थी अभी एक बूंद कुछ आगे बढ़ी
सोचने फिर-फिर यही जी में लगी
आह! क्यों घर छोड़कर मैं यों कढ़ी
1. बूंद किसकी गोद से निकली?
उ०: बादल की
2. 'अंगारा' का अर्थ है
उ०: दहकता कोयला
3. हवा के वेग से समुद्र की ओर कौन आया?
उ०: एक बूंद
4. समुद्र में क्या मिलता है?
उ०: सीप
5. "बूँद लौं कुछ और ही देता है कर" से तात्पर्य है
उ०: विशिष्ट बना देना