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प्र01: "मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धा भाव से देखा" - लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?
उ०: लेखक ने कंपनी के हिस्सेदार की तरफ श्रद्धा भाव से इसीलिए देखा क्योंकि हिस्सेदार साहब को बस की खराब टायर के बारे में पता था फिर भी वह जान हथेली पर लेकर उस बस में सफर कर रहे थे।
प्र02: "लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते" - लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
उ०: लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी शाम वाली बस से सफर नहीं करते हैं। लोगों ने यह सलाह इसीलिए दी क्योंकि वह जानते थे कि इस बस की हालत बहुत खराब है, यह चलते - चलते कभी भी रुक सकती थी। इस बस में सफर करना आत्महत्या करने के बराबर था, इसीलिए लोग इसे डाकिन कहकर भी बुलाते थे।
प्र03: "ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं" - लेखक को ऐसा क्यों लगा?
उ०: ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं लेखक को ऐसा इसलिए लगा क्योंकि बस स्टार्ट होने के बाद जोर-जोर से हिलने लगी थी।
प्र04 : "गजब हो गया ऐसी बस अपने आप चलती है"- लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
उ०: गजब हो गया है ऐसी बस अपने आप चलती है लेखक को यह सुनकर हैरानी इसलिए हुई क्योंकि बस की हालत बहुत खराब थी, उसे देखकर यह लग रहा था की वह एक कदम भी चल नहीं सकती है, इसके बावजूद भी कंपनी का हिस्सेदार कह रहा था कि यह बस अपने आप चलती है।
प्र05: "मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था" - लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उ०: "मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था" - लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन इसलिए समझ रहा था क्योंकि बस की हालत बहुत ख़राब थी और उसे लग रहा था कि बस कभी -भी पेड़ों से टकरा सकती है।